आइये सबसे पहले जानते हैं कि विवाहमें बाधाएँ आखिर आती क्यों हैं?
- कुंडली में दोष होने के कारण।
- गृह अनुकूल नहीं होने के कारण।
- मांगलिक होने के कारण।
यदि जन्म
समय
में
श्रवण
नक्षत्र हो
तथा
कुंडली
में
कहीं
भी
मंगल
एवं
शनि
का
योग
हो
तो
विवाहनिश्चित होकर
भी
टूट
जाती
है।
यदि आप जल्दी से जल्दी विवाह करना चाहते हैं तो इन उपायों को आजमा सकते हैं-
हर सोमवार
को
१.५ किलोग्राम (1.5 kg) चने की
दाल
लेकर
इसके
साथ
सवा
लीटर
गाय
का
दूध
का
दान
करें।
जब
तक
विवाह
नहीं
हो
जाती
तब
तक
ऐसा
करते
रहें।
लड़की की
विवाह
होने
में
देरी
हो
रही
है
तो
शिव
जी
की
उपासना
करें।
5 नारियल
लेकर
शिव
जी
की
फोटो
या
भगवान
शिव
के
मूर्ति
के
आगे
अर्पण
करे
“ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः”, मंत्र की
पांच
माला
का
जप
करें
और
सभी
नारियल
मंदिर
में
चढ़ा
दें।
- रोजाना ‘दुर्गासप्तशती’ से ‘अर्गलास्तोत्रम्’ तक पाठ करें।
- लड़का या लड़की देखने जा रहे हैं तो घर से गुड़ खाकर निकलें।
- भगवान श्रीगणेश जी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएँ।
- लड़की गुरुवार को अपने तकिए के नीचे हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में लपेट कर रखे।
- पीपल की जड़ में लगातार 13 दिन जल चढ़ाने से विवाहमें आ
रही रुकावट दूर हो जाती है।
- प्रत्येक गुरुवार को पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें।
- गुरुवार को गाय को दो आटे के पेड़े पर थोड़ी हल्दी लगाकर गुड तथा चने की गीली दाल के साथ देना चाहिए।
- गुरूवार को केले के वृक्ष के समक्ष गुरु के 108 नामों के उच्चारण के साथ शुद्ध घी का दीपक तथा जल अर्पित करें। जब घर वाले विवाह की बात करने जा रहे हों तो लड़की को खुले बाल रखने चाहिएं और लाल वस्त्र धारण करना चाहिए और मिष्ठान खिलाकर घर वालों को बातचीत के लिए विदा करना चाहिए।
- यदि आप मांगलिक हैं और विवाहमें देरी हो रही है तो इन उपायों पर गौर करें-
- हर मंगलवार को चंडिका स्त्रोत्र का पाठ करने से लाभ होता है।
- शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करेंगे तो विवाहजल्द होगी।
- प्रत्येक मंगलवार को हनुमान मंदिर में जाकर घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी को सिंदूर लगायें।
- मांगलिक लड़के, लड़की को अपने घर के कमरे के दरवाजे का रंग लाल या गुलाबी रखना चाहिए।
- मांगलिक होने के कारण अगर विवाह में अड़चन आ
रही हो तो कन्या प्रत्येक मंगलवार श्री मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ करे तथा लाल मूंगे की माला से निम्न मंत्र का जप करे- 'ॐ ह्री श्री क्ली सर्व पूज्य देवी मंगल चण्डिके हूँ फट स्वाह।